“बोली की गोली” में दो राजवाड़ा की कहानी ले कर आए हैं … महराजा के आँखों पर बातों की पट्टी बांध अँधेरे में रखते संत्री …
एक महराजा के राज में अलग अलग छोटे बड़े मिला कर 41 राजवाड़ा है … महराजा ऐसे जो प्रजा के सुरक्षा के लिए राज घराने के वस्त्र के साथ अपने सिपाहियों की टोली ले कर खुद भ्रमण करते हैं … कई बार क्षद्म भेष में राजघराने का वस्त्र छोड़ हरा रंग तो कभी नीला तो कभी पीला में निकल जाते हैं … महराजा ऐसे हैं जिनके भावुकता का फायदा 41 राजवाड़ा में से कई लोग उठाते हैं … राजवाड़ा में अलग अलग संत्री लगे हुए हैं … कुछ संत्री तो ऐसे हैं जो खुद ही लोटपोट होते रहते हैं तो अपना एजेंट भी बना लिए है …
राजवाड़ा ऐसा
राजवाड़ा महराजा भवन के कुछ दुरी पर है … इसके संत्री काफी दिन यानि लगभग 06 वर्ष दूसरे जगह मंत्री के पद पर थे लेकिन उस अनुभव पर ही सवाल खड़ा होने लगा है … संत्री ऐसे जो गुप्तचर की टोली बना रखे हैं … खबर है कि अपने टोली को बोल रखा है कि मेरे राजवाड़ा में कोई आपराधिक गतिविधि न हो चाहे परोस वाले चौराहे अही अही वाले राजवाड़ा या कील ठोकने वाले क्षेत्र में जो करो … इसी बीच महराजा दूसरे राज्य के वादियों की ताज़ी हवा खाने निकले तो संत्री जी को महराजा के डाट का खौफ हटा तो हद कर दिया संत्री ने … टोली में से एक को पकड़ संत्री के हवाले किया जनता ने … टोली के एक शख्स ने सब पोल जनता के सामने खोल दिया …. संत्री ने बाकी बचे 6 आरोपी को महराजा के कैदखाने तक नहीं पहुँचाया … कारण सभी तथाकथित गुप्तचर हैं … लेकिन कहते हैं न ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ ..संत्री जी के इलाके में एक रिपोर्टिंग हुआ 395 का … त्वरित गति वाले 6 वर्ष के कार्यकाल वाला अनुभव कोड़ा साबित हुआ घंटो बाद संत्री जी ने संज्ञान लिया … मामला 395 या 379 ये तो महराजा भी देख लेंगे और महराजा के निचे उनके मंत्री जी भी देख लेंगे लेकिन संत्री जी तो सिर्फ अपने कार्य में व्यस्त हैं …

दूसरा राजवाड़ा ऐसा है
जहाँ गुरु जी संत्री बने लेकिन मंत्री जी की बातों को अपने एजेंटों तक को बता देते हैं, या फिर राजवाड़ा में जिसे करीबी बना रखे हैं वह कर देते हैं आम .. हद तो ये है दोनों कभी एक साथ प्रवेश किए थे राज में … लेकिन एक संत्री है तो दूसरे क़ाबलियत के साथ मंत्री … मंत्री जी की बातों और आदेश को कर दिया जाता आम … ऐसे में माना जा सकता है महराजा की बातें भी होती होंगी आम … खैर इस राजवाड़ा में किसी की नजर नहीं जाती … इलाके में लाल कोठी भी है … फिर भी इस राजवाड़ा में चुंगी की बात करें तो बड़ी बड़ी है कई क्षेत्र से …कहानी अटपटी है लेकिन कहानी का महत्व महराजा को समझना होगा … लगातार हो रहे राज में खेल पर नजर देनी होगी … तब ही राज में प्रतिष्ठा कायम रहेगी … नहीं तो कुछ संत्री ही सब नीलम कर देंगे …