अनसुनी कहानी के “पिटारा” से आज एक और कहानी ले कर आए हैं … ये कहानी है मुजफ्फरपुर शहरी क्षेत्र के एक थाना की … जिला में एक कोतवाल थे कोतवाल छोटे कद के और तत्कालीन एसपी भी छोटे कद वाले …. दूसरे का अतिक्रमण मुक्त कराने वाले पुलिस वाले ही एक स्कूल के सरकारी आवास में अतिक्रमण कर थाना संचालित कर रहे थे … कोर्ट से फरमान आया थाना को तुरंत हटाया जाए ..
साहब का फरमान कोतवाल को आया, तारीख है हाई कोर्ट में, उपस्थिति दर्ज होना है … तुरंत थाना को शिफ्ट करो … छोटे कद वाले कोतवाल किसी ज़माने पर नाका चलने वाले भवन में शिफ्ट करने की योजना बना लिए … लेकिन नाका तो कबूतर के दरवा में तब्दील था …. ऊपर कबूतर नीचे सैफ जवानो का बैरक … आनन फानन में सिरिस्ता का कागज पत्र के बंडल जाने लगे … टूटी टाइपराइटर मशीन भी चला गया … बचा लालटेन तो कोतवाल शाम के वक़्त लालटेन को बुझा कर ले जाना अफसगुण माने और जलते लालटेन को हाथ में पकड़ नए जगह के लिए निकल लिए …लालटेन तो गया लेकिन सारा सरकारी कंप्यूटर धूल के भेट चढ़ बर्बाद हुआ … लालटेन वाले कोतवाल भी चले गए लेकिन आज भी थाना का हाजत वहीँ कायम है …. पुलिस वाले हैं आदेश थाना को हटाने का था तो हटा लिया भाई … आदेश में हाजत हटाने का तो जिक्र नहीं न था भाइयों ….