बिहार में भले ही सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था आज खुद आईसीयू में हैं …. बिहार के लोग उच्च स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए दिल्ली, लखनऊ, मुंबई और साउथ इंडिया तक का सफर तय करते हैं … लेकिन उसी बिहार में ऐसे ऐसे भी डॉक्टर हैं जो गंभीर से गंभीर बीमारी का न सिर्फ इलाज करते हैं उनकी बीमारी को दूर भी करते हैं ….. यही हाल सर्जरी में है …. लोग बड़े अस्पताल की चाहत लिए बड़े बड़े शहरों में जाते हैं … लेकिन अब वह समय भी आया है जब बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर भी मेडिकल के क्षेत्र में एक बेहतर स्थान बना रहा है …. और ऐसा ही कर दिखाया है एक बार फिर मुजफ्फरपुर के इन डॉक्टरों ने …
कौन कहता है की धरती पर फ़रिश्ते नही होते ? जी हाँ होते है मगर लोग उन्हें पहचान नही पाते हैं …. ऐसे ही दो फ़रिश्ते है सबसे पहले शहर के मशहूर डेंटल और मैग्जीलोफेसीयल सर्जन डॉक्टर गौरव वर्मा और दूसरे डॉक्टर बी मोहन कुमार …. ये कहना मुजफ्फरपुर शहर की 16 वर्षीय मिशा कुमारी का है ….. जिनकी जिंदगी मे सब कुछ था पर अपने मुँह से अपनी कुछ भी पसंदीदा चीज नही खा पाने की मलाल थी …. क्यों ? मीशा का मुँह एक गंभीर और जटिल बीमारी जिसका नाम TMJ Ankylosis से ग्रसित था, जिससे उसका मुँह पिछले दस वर्षो से नही खुलता था…… और तो और उनके परिजन जगह जगह उनके इलाज के लिए गए लेकिन सफलता नही मिली …. फिर उन्हे किसी ने बताया और वे सबसे पहलें डॉक्टर गौरव वर्मा से मिल अपनी बच्ची की परेशानी को साझा किया तब शुरू हुआ मिशन मिशा….
डॉक्टर गौरव वर्मा द्वारा शुरू हुई मिशा की गंभीर और जटिल TMJ Ankylosis बीमारी को जड़ से हटाने की ईलाज की शुरुआत…जो काफी जटिल और चैलेंजिंग था ….. इस सर्जरी में 5 घंटे की थका देने वाली जबरदस्त सर्जरी थी …. उसमे मिशा के सर के अंदर से कुछ मांस के हिस्से को काट कर उसके जबड़े के जॉइंट के हिस्से मे डालना था…… इस जटिल सर्जरी में डॉक्टर गौरव वर्मा का साथ दिया डॉक्टर बी मोहन ने….. वे इस जटिल ऑपरेशन डॉक्टर वर्मा का समय समय पर अपेक्षित सहयोग और मार्गदर्शन देते रहे …. ये ऑपरेशन सफल हुआ और इस दौरान मिशा ने भी सकारात्मक सोच के साथ टीम का साथ दिया…..
मिशा अब वह मिशा नहीं रही ….. मिशा अब स्वरुचि भोजन के साथ अन्य भोजन में आनंद ले रही है … कुछ दिनों बाद मिशा डॉक्टर वर्मा के क्लीनिक आकर बड़े भावुक अंदाज मे उन्हे गले लगा बहुत सारी दुआएं दी और फिर एक सेब को खाया…..मिशा ने कहा ने सही मायने में मेरे जैसे पेशेंट के लिए आप दोनों फ़रिश्ते से कम नही है आपको सादर प्रणाम है …
ये थैंक का नया शब्द नहीं है डॉक्टर गौरव वर्मा के लिए …….जिंदगी और मौत के बीच मझधार में फंसे मरीजों को जब जिंदगी मिलती है तो अक्सर ये कहते हैं … लेकिन ये शब्द मिशा के उस जुबान से निकला जिस मुंह को डॉक्टर गौरव ने ऑपरेट किया इस लिए ये शब्द आज डॉक्टर गौरव वर्मा के लिए ख़ास बन गया …..