

दिनेश सिंह के टक्कर में पूर्व के चुनावी दंगल में टक्कर नहीं रहा, 2022 में उन्हें अपने कॉम्बों के साथ चहलकदमी के लिए उतरने को मजबूर कर दिया, उपहार के साथ गिफ्ट का दौर जारी है,ये बात अलग है कि सिंह के सामने सिंह होने से गिफ्ट का आकार प्रकार बढाना पर रहा होगा ….. वहीं शम्भू सिंह उपहार में सम्मान में एक माला तक सीमित हैं, हाँ एक सेल्फी और तस्वीर की क्लिक के लिए मिलने वाले बेकरार रहते हैं , लाजमी है अंडरवर्ल्ड का वह चेहरा जिसे किसी ने कभी न देखा हो उस मुस्कुराते चेहरा के साथ तस्वीर की लालसा तो होगी हीं, होली के रंग के साथ गिफ्ट शम्भू सिंह के तरफ से भी मार्च के होली के आगे पीछे मिलना शुरू होगा ऐसा चर्चा है

जातीय समीकरण के मत पर गौर करें तो एम वाई समीकरण में शम्भू का खेमा अभी तक मजबूत है,यादव में 20% दिनेश सिंह के तरफ है तो मुस्लिम वोटर्स में 30% दिनेश सिंह की तरफ,ये आंकड़ा चौकाने वाला है ……शम्भू सिंह के तरफ अगर 80% और 70% MY समीकरण है तो वह पलरा भाड़ी है, शम्भू अपने विरादरी पर 80% कब्जा जमा लेते हैं तो अन्य वोटर के साथ दिनेश सिंह के लिए मुश्किल खड़ा करने में कामयाब हो जाएंगे

बिहार अंडरवर्ल्ड में जैसे पूर्व में अपराध से हट कर राजनीति के मैदान में कूदे कई बाहुबली अपराध की दुनिया से दूर हुए, वैसे हीं शम्भू सिंह के लिए ये चुनाव महत्वपूर्ण है, शम्भू सिंह को राजद नेताओं का समर्थन मिल रहा है अगर उसमें वोट की ठेकेदारी से भितरघात न हो तब … मटर, चुरा पकौड़ी के बीच हुए चुनावी चर्चा का भी लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है …. शम्भू सिंह को अगर पराजय की तरफ ले गया ये चुनावी दंगल तो अपने ही करीबी जो वोट मैनेजर बने है उसी में से एक दो के भितरघात के शिकार हो सकते हैं … जैसे विधान सभा चुनाव में पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा के अपने साथ रहने वाले कुछ चेहरों ने ही उन्हें हार के बीच ला खड़ा किया … शम्भु की राजनीति में सही सलाहकार की कमी के बीच दिनेश सिंह का पाला फिलहाल भारी नजर आ रहा है … अब देखना दिलचस्प होगा कॉरपोरेट सिंडिकेट के नाम से प्रचलित शम्भू सिंह अंडरवर्ल्ड के दुनिया में फेमस होने के बाद पॉलिटिकल मंच पर अपना सिक्का जमा पाते हैं या नहीं ..