2019 से 2022 तक का सफर तय कर चुके मुजफ्फरपुर के एसएसपी जयंत कांत का कार्यकाल चौथे वर्ष में प्रवेश कर गया … इन तीन वर्षों में कई चुनौतीपूर्ण घटना हुई .. हत्या, लूट ऐसे वारदात के साथ मिलती रही चुनौती .. एसएसपी जयंत कांत खुद मॉनिटरिंग करते रहें जिस वजह से तीन वर्ष के कार्यकाल में अपराध के खिलाफ एक बेहतर पुलिसिंग देखने को मिली … निश्चित ही कामयाबी जिला की हो रही है तो एसएसपी के रूप में जयंत कांत की कामयाबी मानी जाएगी … ये भी रहा इन तीन वर्षों में कि कई तरह के विरोध और कटाक्ष का सामना भी करना पर गया, लेकिन आलोचना पर भारी रहा एसएसपी का कार्य करने का तरीका

कार्यकाल में दिखी सख्ती के साथ भावुकता
एसएसपी जयंत कांत कद काठी से कड़क और अपराधियों के खिलाफ एक सख्त पुलिस अफसर के रूप में माने जाते रहे है … जो अपराधी जेल भेजे गए या फिर जमानत पर बाहर आए वह इस कार्यकाल में दूसरी बार पुलिस के गिरफ्त में आने से कांपते हैं … मुजफ्फरपुर हीं नहीं बिहार के अन्य जेल में मुजफ्फरपुर के जो बंदी बंद हैं वह जमानत कराने से भी परहेज करते हैं … एसएसपी के टीम में कुछ ऐसे पदाधिकारी भी हैं जिनका अपराध के खिलाफ बड़ा नेटवर्क है जिस वजह से कई घटनाओं में घटना के बाद ही महत्वपूर्ण लीड पुलिस टीम को मिलती रही …

बात नंबर की करें तो एक नंबर पर इंस्पेक्टर अनिल का नाम आता है, कई बार सीधा अपराधी से गोलियों के तरतराहट के बीच अनिल ने सामना किया है और कई लूट ऐसे वारदात को रोकने में कामयाबी जिला पुलिस को दिलाया … इन सब से अलग एसएसपी की भावुकता की बात करें तो बैंक फ्रॉड PNB मामले का स्मरण करें तो वृद्ध दंपत्ति जब रोते हुए पहुंचे तो पुरे फ्रॉड कांड का खुलासा करते हुए बैंक कर्मी सहित कई फ्रॉड जेल भेजे गए … भावुकता ऐसी जब लापरवाही अति हो जाए तब ही किसी पुलिसकर्मी या पदाधिकारी पर कार्रवाई करते हैं … जिसका फायदा बेहतर कार्य करने वालों में ऊर्जा का संचार होता है, वहीं दूसरे तरह के जो लोग हैं वह इसका नाजायज फायदा भी उठा लेते हैं

साहब छुट्टी पर या बीमार फिर भी काम
मुजफ्फरपुर जिला में तीन वर्ष के आगे चौथे वर्ष में कार्य कर रहे पुलिस कप्तान का अंदरखाने की खबर बड़ा रोचक और मार्मिक है … साहब बीमार रहते है फिर भी सर्विलांस और अपने सूत्रों से सम्पर्क में रहते हैं … इनके कोतवाल जो जिला में हैं उन्हें भी कभी – कभी जानकारी नहीं होती की बड़ा साहब छुट्टी में हैं या फिर विभागीय कार्य से जिला से बाहर हैं .. एक प्रतिष्ठित डॉक्टर सूत्र की माने तो कोविड काल में कोविड पीड़ित हो गए थे एसएसपी जयंत कांत इसके बावजूद अपराध नियंत्रण में जुटे रहे थे ..
मुजफ्फरपुर में शांति प्रिय अपराध के खिलाफ सोच रखने वाले लोग अक्सर जयंत कांत आईपीएस को याद रखेंगे … अब देखना दिलचस्प होगा की चौथे वर्ष के कार्यकाल का जिला को और कितना दिन फायदा मिलता है