मुज़फ़्फ़रपुरर के बेला में हुए नूडल्स फैक्ट्री ब्लास्ट कांड में सात मौत के बाद तीन FIR दर्ज हो चुके अभी तक … लेकिन बड़ा सवाल ये है कि किसी भी आरोपी की गिरफ़्तारी दो दिन बाद भी नहीं हो सकी … आरोपी कोई पेशेवर अपराधी नहीं हैं … न हीं अपराधी की तरह शातिर हैं … इन आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगा है …फिर भी पुलिस दो दिनों बाद तक नहीं पकड़ सकी … एसएसपी के निर्देश पर बने एसआईटी की टीम गिरफ़्तारी के लिए वैशाली समेत कई जिलों में छापेमारी तो की लेकिन अभी तक हाथ खाली हैं … सूत्रों की माने तो वैशाली जिला में एक सरपंच के आवास पर भी छापेमारी की गयी थी लेकिन आरोपी फरार मिला … दर्ज एफआईआर में जो फैक्ट्री कर्मी हैं उन्ही में से एक सरपंच पुत्र है …
बेला मौत तांडव मामले में अभी तक तीन FIR दर्ज बेला थाना पुलिस टीम के द्वारा किया गया … बियाडा के क्षेत्रीय प्रभारी प्रशांत कुमार श्रीवास्तव के बयान पर फैक्ट्री संचालक विकास मोदी, उसकी पत्नी श्वेता मोदी समेत अन्य कर्मी के खिलाफ दर्ज हुआ एफआईआर … ब्लास्ट वाले फैक्ट्री के बगल के मिल संचालक अजय कुमार उर्फ पंचम के द्वारा भी एक FIR विकास मोदी समेत अन्य को आरोपी बनाते हुए दर्ज कराया गया … अजय उर्फ़ पंचम के चुरा मील में काम करने वाले दो कामगारों की भी मौत हुई थी ..
प्रभात खबर दैनिक अखबार का प्रिंटिंग प्रेस भी विस्फोट के बाद क्षतिग्रस्त हो गया था …. ऐसे में अब इस मामले में सीनियर ऑफिसर इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के रितेश कुमार ने भी एक FIR बेला थाना में लाखों के क्षति बताते हुए विकास मोदी को जिम्मेदार ठहराया … ये एफआईआर तीसरा है … एक एक कर तीन एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अभी तक विकास मोदी पुलिस पकड़ से बाहर है …

गिरफ़्तारी नहीं होने से अब राजनीति भी शुरू हो चूका है … जाप सुप्रीमो पप्पू यादव जब पहुंचे तो ने SIT के गठन पर बड़ा सवाल खड़े करते हुए कहा है कि मुजफ्फरपुर SIT कुछ नहीं करेगी … ये सब जिला में बस खानापूर्ति है …पप्पू ने सवाल खड़ा किया … सवाल लाजमी भी है .. अक्सर बड़े मामले में सिर्फ जाँच पर जांच ही हो कर रह जाता है और आरोपी जमानत पर बाहर आ जाते हैं … इस मामले में भी सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है घटना के बाद कुछ आरोपी समस्तीपुर की तरफ गए थे वहीं कुछ जिला में मोतीपुर थाना क्षेत्र में है … खबर ये भी है गैर इरादतन हत्या मामले में जमानत के लिए तैयारी आरोपियों ने शुरु कर दिया है … दर्ज एफआईआर में जो आरोपी बने उनकी गिरफ़्तारी फरारी के कारण नहीं हो पा रही है ….. गौर करने वाली बात ये है जिन पदाधिकारी और सरकारी अफसर की लापरवाही हुई जो आज भी अपनी कुर्सी पर विराजमान हैं उनके खिलाफ भी विभागीय करवाई अभी तक नहीं दिखी … ऐसे में पप्पू के आरोप में दम लग रहा है …