मुजफ्फरपुर पुलिस के कारनामों के पन्नो में एक और नाकामी की तस्वीर कैद हो गयी …
आप जान कर हैरान हो जाएंगे कि पुलिस ऐसी सक्रिय रही काजी मोहम्मदपुर थाना की जिसने 29 वर्ष तक हत्या के आरोपी को खुला छोड़ दिया था … इस 29 वर्ष में दर्जनों कोतवाल बदले गए … कुछ तो ऐसे लोग भी कोतवाल की कुर्सी पर विराजमान रहे जो एक बार कौन कहे दो दो बार कोतवाल रहे … इसी बीच एसएसपी को मिली गुप्त सूचना पर पूर्वी चंपारण से 29 वर्ष बाद अपनी ही सौतेली बहन की हत्या में बना आरोपी गिरफ्तार किया गया

एसएसपी जयंत कांत ने बताया
एसएसपी जयंत कांत ने बताया की काजी मोहम्मदपुर थाने का फरार आरोपी की गिरफ़्तारी कर ली गयी है … गिरफ्तार अभियुक्त से नगर डीएसपी पूछ ताछ कर लिए हैं … आरोपी मनोज यादव को पूर्वी चंपारण के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया है ….
एसएसपी जयंत कांत ने बताया की काजी मोहम्मदपुर थाने का फरार आरोपी की गिरफ़्तारी कर ली गयी है … गिरफ्तार अभियुक्त से नगर डीएसपी पूछ ताछ कर लिए हैं … आरोपी मनोज यादव को पूर्वी चंपारण के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया है ….
नगर डीएसपी राम नरेश पासवान ने बताया की मनोज यादव सौतेली बहन चंदा देवी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है … 28 मार्च 1993 को एक एफआईआर दर्ज हुआ था जिसमें आरोप था कि चंदा को काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के चौधराइन गली स्थित किराये के मकान में रहने के दौरान जला कर हत्या किया गया था … 1993 के तत्कालीन थानेदार इंस्पेक्टर मिथिलेश कुमार के बयान पर दर्ज मामले में चार आरोपी मो अब्दुल रब, मोहन पासवान, रामनरेश राम और मो खुर्शीद के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल पूर्व में हो चुका है … मनोज यादव और मनोज के पिता विश्वनाथ राय सहित चार फरार हो गये थे घटना के बाद
क्या आरोपी के प्रभाव में आ कर गिरफ्तार नहीं करते थे थानेदार?
निश्चित ही हत्या कांड के आरोपी मनोज यादव की गिरफ़्तारी पुलिस के लिए उपलब्धि मानी जा रही है … वहीं ये गिरफ़्तारी 1993 से 2022 के बीच के वर्षों में तैनात सभी थानेदारों और कांड के अनुसन्धानकों के क़ाबलियत पर सवाल खड़ा करता है … सवाल बड़ा है क्या इस दौरान के सभी कोतवाल हत्या ऐसे मामले की फाइल अपने ही थाना में नहीं देखते थे … अगर देखते थे तो क्या आरोपी के प्रभाव में आ कर गिरफ्तार नहीं करते थे थानेदार?