मुजफ्फरपुर नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव और फिर मेयर को बरकरार के बाद फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियां तो चल रही है …. लेकिन इन सब के बीच एक घटनाक्रम ने खरीद फरोख्त ही नहीं जाम छलकाने तक के आरोप लगने लगे … इन आरोपों के बीच तीन दिन पूर्व पुलिस ने जब मेयर के उम्मीदवार बने राकेश कुमार के पारस महल में छापेमारी किया तो नजारा कुछ और था …. पुलिस के आने की खबर लगते पारस महल का मयखाना में जाम छलकाते लोग हो गए फरार …. कर्मचारियों ने लगा दिया ताला … खबर पुख्ता थी इसलिए पुलिस मौके पर ताला खुलवाने के लिए रुकी रही …. ताला खोलने से आनाकानी करते रहे कर्मी उसे पुलिस को ये साफ़ होगया कि कुछ तो गड़बड़ है …. इस बीच पुलिस पर दबाव बनाने के लिए शहर के एक बड़े नेता जी लगातार कॉल करते रहे … लेकिन सिर्फ ब्रह्मपुरा थाना के पुलिस टीम की बात नहीं है कह कर मौके पर मौजूद पुलिस अफसर ने ताला खोलवाने के लिए अड़े रहे ….

नेता जी हो गए बेनकाब
जो नेता जी लगातार कॉल करते रहे वह भी बेनकाब हो गए …. पुलिस के नजर में और तो और अब जनता के बीच भी बात आ रही है …. अंदर शराब की पार्टी सफल रूप से चल रही थी … लेकिन अंदर जाम छलकाने वालों में एक ऐसा भी शख्स था जो धीरे से अंदर के खेल को बाहर कर दिया …. पुलिस जब अंदर गयी तो कई बोतलों के बीच चखना और गिलास डिस्पोजल बरामद हुआ … मौके पर बची शराब से पुलिस ने ये अंदाजा लगाया कि शराब के पार्टी में बीच में ही भागे हैं सभी …. एक बड़े बोतल में अभी पैगों के लिए शराब का अंश बाकी थे ….

इस छापेमारी के बाद पैरवीकार नेता जी का तर्क और बचाव पक्ष का तर्क है कर्मियों ने पार्टी रखी होगी …. लेकिन सवाल बड़ा है … कर्मी 6 से 10 हजार रुपया महीना सैलरी वाले बड़े ब्रांड का सेवन कैसे कर रहे थे …. बात ब्रांड की हो तो और भी ब्रांड थे लेकिन ओहदे के हिसाब से पार्टी चल रही थी ….. इस मामले में पुलिस सूत्रों द्वारा पैरवीकार नेता जी का नाम तो सामने नहीं आ सका है लेकिन दबी जुबान से ये साफ़ हो गया पुलिस सूत्रों से नेता जी शहरी क्षेत्र के है …

फिलहाल पुलिस ने दर्ज एफआईआर के आधार पर आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है …. अभी तक के जांच में बचाव पक्ष से जो तर्क दिए गए उससे पुलिस संतुष्ट नहीं है … तकनीकी आधार पर पैरवीकार नेता जी तो बेनक़ाबग हुए है वहीँ आरोपी पर भी आगे कार्रवाई जारी है ….