“अनसुनी कहानी” कहानी के ‘पिटारा’ से ले कर आए हैं 1994 बैच के दरोगा जी की कहानी … कई दरोगा में से दो दरोगा ऐसे थे जो मिथुन चक्रवर्ती के फैन थे, उन दिनों मिथुन चक्रवर्ती की फिल्मे काफी हीट हुआ करती थे … दो ऐसा ट्रेनिंग सेंटर था जिसमे ट्रेनिंग ली जाती थी पुलिस विभाग का … एक हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय पुलिस अकादमी जिसमे आईपीएस स्तर के चयनित अधिकारी की ट्रेनिंग होती थी … वहीं पंजाब के फिल्लौर में बिहार के चयनित 1994 बैच के दरोगा पहुंचे ट्रेनिंग में ….

छात्र जीवन से दरोगा बने युवाओं में जोश था लेकिन जोश के बीच एक बड़ा गम था … परिधान के साथ सर की जुल्फों का एक अलग अंदाज हुआ करता था … जुल्फें काटने पर गए दो दरोगा जी को … कहतें हैं पंजाब ट्रेनिंग सेंटर में जब पहुंचे तो छोटे – छोटे बालों के साथ ट्रेनिंग शुरू तो हो गयी लेकिन वक़्त के साथ कई महीने तक दर्पण के सामने जाने के बाद एक गम सताने लगता था … लेकिन समाज में अपनी पुलिसिंग से सेवा देने की भावना हावी रहा गम पर … आज दरोगा जी डीएसपी हो कर एक ही जिले में कोई पश्चिमी क्षेत्र में तो एक रेल में सेवा दे रहे हैं …. वक़्त के साथ जुल्फों से दूर जरूर हो गए लेकिन पुलिस सेवा में अपने – अपने क्षेत्र में बेहतर कार्य करते दिख रहे है …