बिहार में शराबबंदी में कोताही बरतने पर या फिर कोताही दिखने मात्र से थानेदार से ले कर चौकीदार की नौकरी खतरे में आ जाती है … हद तो ये है निलंबन की कार्रवाई से ले कर बर्खास्त तक की कठोर कार्रवाई के प्रावधान के लपेटे में पुलिस वाले आते हैं … एक मौत भी इलाके में हो गयी तो कुर्सी कोतवाल का खिसकता ही नहीं कुर्सी दस वर्षों तक नजर नहीं आएगी … बिहार में शराब बंदी कारगर हो इसके लिए कई कानून बने लेकिन शराब माफिया आज भी कारोबार को बढ़ाते चले जा रहे हैं … क्या कार्रवाई के लिए सिर्फ पुलिस विभाग ही हैं .. जो सरकार और पुलिस विभाग के नियमों कानून के हवाला के बीच नपते हैं पुलिस वाले ?
हाल के दिनों में मुख्यमंत्री के द्वारा कई पुलिस वाले शराब बंदी में बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किए गए … लेकिन बड़ा सवाल ये है सिर्फ सम्मान पत्र और सीएम के साथ तस्वीर मात्र से ये सम्मान कारगर होगा .. बिहार में शराब कारोबारी को पकड़ने गई पुलिस टीम पर जब भी हमला हुआ है घायल पुलिस वालों का इलाज के लिए भी पुलिस विभाग सरकारी स्तर पर कुछ नहीं कर सका .. ऐसे कई मामले हैं … मुजफ्फरपुर के मोतीपुर थाना क्षेत्र में शराब का ट्रक पकड़ने के लिए पुलिस टीम ने ट्रक रोका .. तब हीं ट्रक वाले ने सभी के रौंद दिया था … इस घटना में कई पुलिस वाले शराब पकड़ने में ऑन डियूटी शहीद हो गए तो वहीं क्षेत्र के डीएसपी सहित कई गंभीर रूप से घायल हो कर अस्पताल के आईसीयू में पहुँच गए …

पुलिस सूत्रों की मानें तो कई पुलिस अफसर और पुलिसकर्मी शराब कारोबारी के हमले में घायल हुए उनका इलाज अगर निजी स्तर के अस्पताल में हुआ तो एक भी रुपया सरकारी फंड का उन्हें नहीं मिला … हद तो ये रही अतिरिक्त छुट्टी भी उन्हें नहीं मिली … जो भी समय इलाज में व्यतीत हुआ वह उनके छुट्टियों में शामिल हुआ … जो पुलिस अफसर या पुलिस कर्मी हो या फिर होमगार्ड के जवान शराब पकड़ने में ऑन ड्यूटी शहीद हुए उनके परिजनों को आज तक कोई अतरिक्त लाभ नहीं मिला … आखिर क्यों कार्रवाई में सरकार शराब मामले में सख्त है और सरकारी लाभ देने में अनदेखी कर रही है … ये कैसा कानून है इसकी चर्चा पुलिस विभाग में होती रहती है वैसे लोगों में जो घायल हुए या जिनकी मौत हुई उनके परिजनों में …
कानून सख्त है सिर्फ कार्रवाई के लिए लाभ देने में सरकार ने अतिरिक्त कानून में संशोधन नहीं कर रही है … नतीजा ये है पुलिसकर्मियों में ऊपर से निचे तक के सभी लोगों में अंदर ही अंदर असंतोष बढ़ता जा रहा है …