बिहार में शराबबंदी के बाद कानून में फेरबदल होता रहा …. शराबबंदी कानून ‘Prohibition Law In Bihar’ को ले कर बिहार सरकार की जबरदस्त फजीहत होती रही, जिसके बाद बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन किया … अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार भी लगाया था … जिसके बाद 2022 में मद्य निषेध और उत्पाद ‘संशोधन’ विधेयक की मंजूरी कैबिनेट में दी गयी और कानून संबंधी कई नियम बदल दिए गए … नए नियम से शराब पिने वाले और बेचने वाले को फायदा हुआ लेकिन पुलिस वाले आज भी सूली पर चढ़े हुए हैं

बिहार सरकार आखिर पुलिस वालों पर लागू होने वाले नियम पर कब संशोधन करेगी ? … बिहार के कई जिलों में सैकड़ो पुलिस इंस्पेक्टर और दरोगा शराब बंदी कानून के चक्कर में सेंटिंग में हैं … शराब कारोबारी से मिलीभगत वाले पर कार्रवाई होती है, तो सही है लेकिन वैसे लोग जो थाना में कोतवाल रहते न सिर्फ अपने थाना क्षेत्र में जिला के अन्य थाना क्षेत्र के अपराध नियंत्रण और केश डिटेक्शन में अहम भूमिका निभाए और क्षेत्र में जहरीली शराब से हुए मौत मामले में सूली पर चढ़े हुए हैं उस में सरकार कब करेगी संशोधन .

बिहार में सरकार सुशासन के दावों के बीच चल रही है … ये कैसा सुशासन है ? जहाँ बिहार के कई जिलों में अपराध का ग्राफ बढ़ा हुआ है और बेहतर पुलिस का कार्य करने वाले दरोगा और इंस्पेक्टर सूली पर चढ़ सेंटिंग के फाइलों में सिमटे हुए हैं या फिर जिला के लॉ एंड आर्डर में जुटे हुए हैं .. सरकार यानी नीतीश कुमार हर मुद्दों से वाकिफ नहीं हैं ऐसे में पटना में बैठे वरीय पुलिस अधिकारी या जिला में बैठे पुलिस कप्तान आखिर खामोश क्यों हैं ये बड़ा सवाल है …. ख़ामोशी अधिकारीयों की यूँ ही बनी रही तो आने वाले दिनों में अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा … हाल के दिनों में नई नौकरी पा कर आए दरोगा कई ऐसे हैं जिन्हे ALTF प्रभारी के अंदर में थानों में लगा दिया गया है … खबर है ऐसे कई दरोगा अल्प कार्य अवधि में करोड़पति हो गए हैं … कई ऐसे दरोगा खुद को ऊपर तक पहुँच बताते हुए टॉक अप में JSI का दावा करते हैं … उन दरोगा पर न तो कोई एसपी या एसएसपी कार्रवाई करते है …वही काम करने वालों पर विभाग खामोश है, तो सरकार भी कर रही हैं नजरअंदाज …