बिहार में एक अनोखा थाना – डीजीपी, डीएसपी दूर यहाँ पुलिस नियमावली से अलग चलता कार्य “बोली की गोली”

pmbnewsweb
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बिहार में अपराध में लगाम लगाए जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिनके वजह से पुलिस महकमा हमेशा खबरों में सुर्खियों में रहता है  … उत्तर बिहार के एक जिला में एक अनोखा थाना है  …
इस थाना में कई कारनामे होते रहें है  … कारनामों पर गौर करेंगे तो आप भी समझ जाएंगे अनोखा थाना है क्यों   … इसके लिए ज्यादा नहीं दो दशक पूर्व ले कर चलते हैं आप को   …दो दशक पूर्व के दो वर्षों में थाना में जमा हथियार चोरी हो गया जिस मामले में तत्कालीन कोतवाल पर गंभीर आरोप के तहत करवाई हुई   …. उसके बाद पेट्रोल बम से हमला हुआ कुछ ही वर्ष बाद  …. एक कोतवाल थाना के सस्पेंड के बाद जेल का सफर तय किए  …  लेकिन इन सब के बीच अच्छे दिन भी आए थे  … कुछ वर्ष पूर्व एक ऐसे कोतवाल भी आए जिनके कार्यकाल में थाना में कैश काउंटर बंद हो गया था  … उसी कोतवाल ने इसी थाना में दो बार थानेदारी किया  … कैश काउंटर बंद था लेकिन नीचे के लोग मंदिर वाले रोड में जा कर या फिर बाबा के चाय की दुकान में दुकानदारी कर लिया करते थे चोरी चोरी चुपके चुपके
अब फिर दो दशक पूर्व का आलम से भी ज्यादा स्थिति बदल गयी है  .. आप हैरान हो जाएंगे ये उस जिला का हाल है जहाँ आईजी, एसएसपी, डीएसपी सभी है लेकिन इन हकीमो को छोड़े वर्तमान स्थिति में डीजी तक की यहाँ नहीं चलेगी   … कारण साफ़ है कोई पोलटिकल पहुँच या फिर डिपार्टमेंटल पहुँच   … इस थाना में कोई मामले को आज तक उजागर नहीं किया   … तीन माह हो गए एक ही रात में दो कार चोरी हुए लेकिन फाइनल रिपोर्ट नहीं कटा उसके पीछे वजह ये माना जा रहा है खर्चा नहीं पहुंचा   … हद तो ये हो गयी बाइक चोरी मामले में कोतवाल नहीं है तो अपराधी का पीछा नहीं किया गया  … घटनास्थल PO वेरिफिकेशन करने गए शख्स जो खुद को अनुसंधानक  बताते हैं उनका शुल्क है  … शुल्क ले कर भी FIR की कॉपी नहीं दी गयी  .. ऐसे में चोरी गए सामान को बरामद किस हद तो किया जाएगा ये समझा जा सकता है   ….इस थाना के बड़े मिया तो बड़े मिया छोटे मिया   …. ऐसे में ये कहाँ कहीं से गलत नहीं है एसएसपी आईजी डीएसपी तो दूर यहाँ डीजी तक की नहीं चलती  … अनोखा थाना में अनोखा खेल यूँ ही खबरों में आता रहा है और रहेगा लेकिन खेल चलता रहेगा  …
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