बिहार पुलिस में ऐसे भी हैं ! नहीं चाहिए थानेदारी करनी है सिर्फ निष्पक्ष पुलिसिंग “तफ्तीश”

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बिहार पुलिस हो या देश के किसी राज्य की पुलिस हर राज्य जिला में थानेदारी करने के लिए लोग ऑपरेशन थानेदारी में लगे रहते हैं  .. थाना इंस्पेक्टर लेवल का हो या दरोगा लेवल का सभी इंस्पेक्टर दरोगा की पहली चाहत होती है थानेदारी  …. थानेदारी में रुतबा भी है और फिर वह भी है जो आप समझ रहे हैं  ….. जी हाँ सही पकड़े हैं धन वर्षा से इंकार नहीं किया जा सकता   … थानेदारी पाने के लिए कोतवाल बनने के लिए कई बेलन बेलने को तैयार होते हैं लोग   ….. धन वर्षा के साथ उपहार और अन्य कई आवश्यकताएं यूँ ही पूरी होती है   …. ऐसा नहीं है इस कार्य में होने वाले लाभों को वरीय अधिकारी नहीं जानते   ….. वरीय अधिकारी का पार्ट ऑफ़ ट्रेनिंग में थानेदारी भी होती है  …. कई बार ऐसा भी देखने को मिला आईपीएस धन वर्षा और उपहार से दूर रहते हैं लेकिन थानेदारी के दौरान कोतवाल को कई जगहों के साथ कई स्तर पर खुश रखना होता है   … एक दो बार तो ऐसा भी दृश्य देखने और सुनने को मिला जब एक आईपीएस थाना के कोतवाल से ही फ्री में गाड़ी और डीजल की मांग हुई   …


इन सब के बीच बात हो रही है बिहार के एक ऐसे पुलिस वाले की जो थानेदारी करने से भागते हैं  …. उन्हें मलाईदार कुर्सी से प्यार नहीं है   … बिहार के मुजफ्फरपुर में ही एक ऐसे इंस्पेक्टर हैं जो थानेदारी से भागते हैं   …. जिला में जब ये इंस्पेक्टर आए तो पहली पोस्टिंग सब इंस्पेक्टर वाले थाना में कोतवाल बनाए गए  .. उसके बाद उनका प्रतिनियुक्ति हज भवन में किया गया  … हज भवन से वापस आने के बाद फिर मुजफ्फरपुर जिला के सबसे बड़े थाना में उनको कोतवाल तत्कालीन एसएसपी ने बनाया   … लेकिन सदर में नाटकीय अंदाज में उन्हें हटना हुआ   … उसके बाद नगर और फिर केएमपी में कोतवाल बने  …. फिर जिला का सबसे बड़े दो थाना में से एक अहियापुर की जवाबदेही दी जा रही थी लेकिन इंस्पेक्टर ने कोतवाल बनने से इंकार कर दिया   … फिर केएमपी में प्रभार में आए लेकिन फिर किसी वजह से वहां से हटे   …. फिर दूसरे बड़े थाना की जवाबदेही का चर्चा हुआ लेकिन फिर इंस्पेक्टर पीछे हट गए   ….


मुजफ्फरपुर में हर मामले में सबसे बड़ा थाना शहर से सटे शहर का अहियापुर और सदर ही माना जाता है  … अन्य मामलों में भी सभी थाना के हट के ये थाना है   …. हाल के पिछले 10 महीने में अहियापुर का बेहतर थाना मामले में रिकार्ड तोड़ बेहतर बना   … लेकिन फिर भी थानेदारी से भागने वाले इंस्पेक्टर शुजाउद्दीन सिर्फ और सिर्फ पुलिसिंग करने को अक्सर तैयार रहते हैं   … लेकिन क्या वजह है थानेदारी से प्रेम नहीं है   … इसके पीछे मुख्य वजह ये PMB न्यूज़ के तफ्तीश में आया इनके कार्यकाल में थाना के अंदर खेल बंद हो जाता है और फिर आम लोगों को ये भरोसा होता है कि मामला दर्ज होगा  चाहे सामने वाला कोई हो   …. तफ्तीश में ये भी बातें सामने आयी है कि इनके थानेदारी कार्य में चोरी छिपे इनके नीचे वाले खेल तो खेल लेते थे   .. जो अभी केएमपी में खुलेआम दिख रहा है    .. शुजाउद्दीन ऐसे इंस्पेक्टर भी बिहार में है इसकी चर्चा आम लोगों में जरूर होती है और होती रहेगी   …..

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