बिहार ही नहीं देश के हर जिला में चोरी की घटना अक्सर होती रहती है … गृह भेदन की घटना के बाद मामला अगर पुलिस तक पहुँचता है …. तो घटना स्थल पर पुलिस टीम पहुंचती है और घर में संपत्ति के विरुद्ध अपराध मामले में धारा 457/380 में मामला दर्ज कर लेती है … वहीं किसी व्यावसायिक स्थल पर हुए चोरी मामले में 461/379 में मामला दर्ज कर लेती है … अक्सर ऐसे चोरी की घटना का खुलासा नहीं होता और पुलिस पर आरोप हम आप लगाते हैं कि पुलिस ने कुछ बरामद नहीं किया … पुलिस ने किसी अपराधी को नहीं पकड़ा … पुलिस गस्ती नहीं होती है इस वजह से चोरी की घटना को अपराधी अंजाम दे दिए … ऐसे आरोप अक्सर पुलिस पर लगते रहते हैं .

“बोली की गोली” में आज हम तल्ख़ जुबान के साथ बड़ा सवाल उठा रहे हैं … किसी भी चोरी की घटना को रोकना हमारा भी फर्ज है अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए … आम लोग गुटखा का जिपर 60 रुपया का और सिगरेट 330 का पैकेट खरीद धुआँ उड़ा देते हैं या थूक देते हैं … लेकिन जिसका मासिक खर्च पर गौर करें तो 10 हजार से भी पार कर जाता है लेकिन 8 से 12 हजार की लागत का एक CCTV नहीं लगाते ….. CCTV रहने से बहुत हद तक सेंसर और सर्विलांस के माध्यम से चोरी की घटना खुद रोका जा सकता है …. लेकिन ऐसा नहीं है आम लोगों को भी जागरूक होना होगा … अपराधी के मन में डर बैठना होगा … दो अपराधी खुद किसी घटना को अंजाम देने से पहले सोचने पर मजबूर हो जाएंगे …