मुजफ्फरपुर में वार्ड के संतों के बीच जंग इस बात को ले कर रहा राजा कौन बनेगा ? राजा कोई बने संतों को फायदा होता रहा … पक्ष विपक्ष दोनों तरफ से मलाईदार तोहफा के साथ वेटफूल सम्मान भी मिलता रहा … सम्मान का वेट इतना की कुर्तावा के बगली फट जाए … वार्ड के संत रूपी नेताओं की तो पूछे नहीं दो चार वार्ड छोड़ दें तो अन्य सभी का हाल बेहाल रहा … जिन्हे कल तक कोई नहीं जानता था वह कोई भतीजा को मोबाइल थमा दिए तो कोई चेला चेंगरा को मोबाइल दे कर खुद को मंत्री समझने लगाए .. कुछ ही ऐसे रहे जो खुद मोबाइल उठाते रहे .. विकास कई वार्ड का भले नहीं हुआ लेकिन नेता जी का और उनके चेंगराओं का विकास जरूर हुआ

एक नेता जी तो अल्प समय के लिए वेटफुल सम्मान के साथ गला भी तर करवाने से बाज नहीं आए .. गला तर का नतीजा सामने रहा कल तक जो करीबी थे उनकी कुर्सी छीन अल्प समय के लिए ही सही कुर्सीदार बन गए .. अब एक बार फिर सपना देख रहे हैं उसी कुर्सी का .. जिस कुर्सी को कुछ माह के लिए पाने के लिए शहर के दो किंगमेकर के नजदीक तो हुए ही एक कांड में अभियुक्त भी बने … अब देखना दिलचस्प है अगली बार किस कुर्सी के हक़दार होते हैं

कुर्सी जाती जाती बचती रही ..खुद को किंगमेकर बनने की चाहत ने कुर्सी से कर दिया बेदखल … जब कुर्सी पाए तो उसी दिन दो किंग मेकर को ले कर नेता जी के चौखट पर पांच वर्ष पूर्व हो गया था ड्रामा … नेता जी कुर्सी के लिए जिसे अपनाया उसे दरकिनार कर दिया . बात चलती रही, बात चली, बात ठहरी, बात टूटी, फिर चली बात, बात बंद हो गयी और कुर्सिया चल गया नेता जी का … अब बखान करते हैं विकास का … चार वर्ष से अधिक कुर्सी पर रहे लेकिन बंटाधार कर दिए शहर का अब कुर्सी जाने के बाद करते हैं बड़ी बड़ी बात …कुर्सी तो दूर वार्ड में भी निकल जाएंगे या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा

इन सभी के पोलटिकल ड्रामा के बीच एक ड्रामा कार्यकाल के अंतिम दिनों में देखने को मिला … जो शख्स कभी निगम का भत्ता नहीं लिया उसे दलाल बोल कर सम्बोधित कर दिया गया … दलाल सुनने वाले नेता जी भी क्या खूब किए नगर निगम के दुर्दशा से उपजे जलजमाव वाले पानी में मनो जुटा भीगा मारने से बाज नहीं आए .. खुद दलाल का चोला ओढ़े और पहुँच गए दलाल कहने वाला के सामने फिर क्या सामने वाले ने माफ़ी मांग लिया लेकिन इतिहास के पन्नो में वह माफ़ी दर्ज हुआ है अब देखें आगे आगे होता क्या है …