रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने लिखा था बेनीपुरी जी पर_बेनीपुरी मेरे साहित्यिक जीवन के निर्माता थे,मैं उनसे कभी उऋण नहीं हो सकता .. नाम का दिनकर मैं था असली सूर्य बेनीपुरी थे … बेनीपुरी नहीं होते तो दिनकर भी नहीं होता …
साहित्य के साथ नाटक की रचना कर बेनीपुरी जी ने समाज को कई तस्वीर दिखाया … उनकी रचनाओं से प्रभावित होकर पृथ्वी राज कपूर अपने परिवार के सदस्यों और थिएटर के टीम के साथ बेनीपुर सुदूर गांव में 21 दिन रहे थे …
बेनीपुरी जी ने जिन नाटकों की रचना की उन नाटकों का मंचन पृथ्वी राज कपूर ने किया …
बेनीपुरी जी के नाती आज उस पुरानी यादों को याद करते हुए भावुक हो जाते है … आम्रपाली नाटक का आयोजन साहित्य अकादमी ने किया था दिल्ली में ..

बेनीपुरी जी की जीवन काल का मुख्य अंश
मुजफ्फरपुर जिला से 38 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव – बेनीपुर के सामान्य परिवार में 23 दिसंबर 1899 को हुआ था …
बचपन में ही माता पिता का स्वर्गवास हो गया …
दादा मामा मौसी ने बेनीपुरी का पालन पोषण किया …
बचपन में तुलसी रामायण से संस्कार मिले … उन्होंने ने आस पास की विषम परिस्थितियों के अनुभव पाए … किसान और मजदूरों की पीड़ाएं देखि जिसे शब्दों में पिरोया
साहित्य में काफी कष्ट झेल कर कई रचनाएं लिखी … माटी से जुड़े होने के कारण बेनीपुरी जी ने जो लिखा वह मंगल हरवाहा .. सरयू भैया … ऐसे जीवित पात्रों को लोक जीवन को आधार बना कर अपने कलम से रंग भड़े … साहित्यकार अवधेश्वर अरुण बताते है कि सामाजिक और समाजवादी चिंतन से से लैस थे … बेनीपुरी … अपने लेखा चित्र के शब्दों को एक कर हिंदी साहित्य की सेवा किया बेनीपुरी जी ने
एक नहीं करीब 100 पुस्तकें लिखीं … कई पत्र पत्रिका का भी संपादन किया … अपने समय के एक साहित्यकार ,पत्रकार और सामाजिक विचारधाराओं को एक माला में गुथने का कार्य किया बेनीपुरी जी ने …
बेनीपुरी जी का कागज और कलम से अटूट रिस्ता था … घर से जेल की सलाखें तक कलम और कागज का रिश्ता खत्म नहीं होता था … आज भी उनकी लिखी पाण्डुलिपि बची हुई है लेकिन सरकार कोई पहल नहीं करती है
जयप्रकाश नारायण की जीवनी पहली बार बेनीपुरी जी ने ही लिखी थी …

पत्रकारिता और आंदोलन
बेनीपुरी की पत्रकारिता राजनीतिक तथा अन्य आंदोलन तक ही सीमित नहीं रही …. सृजनात्मक साहित्य वाला पक्ष भी उतना ही धवल – उज्जवल है … साहित्यकार … निर्भीक पत्रकार … आंदोलनधर्मी पत्रकारिता ने बिहार में चेतना जगाई … स्वतंत्रता संग्राम के महान सेना पति के रूप में बेनीपुरी अंग्रेज सत्ता के छक्के छुड़ाए …
महात्मा गांधी के साथ हो या जयप्रकाश नारायण के साथ स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाते रहे … महात्मा गांधी के कहने पर छात्र जीवन में ही उन्होंने देश के लिए संग्राम में उतर गए … लेकिन साथ रहा तो कलम ….
मूलतः साहित्कार बेनीपुरी थे लेकिन देश के लिए आजादी की लड़ाई में कूदे ….

जेल का सफर
करीब 10 वर्ष जेल में रहते हुए भी कलम का साथ रहा जेल के सलाखों के भीतर भी साहित्य से जुड़े रहे …
बेनीपुरी जी के गांव में महात्मा गांधी आए थे … गांधी ने ही नहर खोदा था … लेकिन आज बेनीपुरी जी का सपना गाँव के विकास का अधूरा रह गया
हजारीबाग जेल से जयप्रकाश नारायण सहित 6 लोगों को जेल से भगवाने में अहम भूमिका निभाया … जेल से फरारी के बाद आजादी की लड़ाई ने एक ने रूप दिया गया जिससे आज भारत आजाद है
बेनीपुरी जी के गाँव में आज चारो तरफ वीरानी ही है … इसी स्थान पर महात्मा गांधी .. राजेंद्र प्रसाद … जयप्रकाश नारायण … और कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रवास किया करते थे
बेनीपुरी का सपना था इलाके में एक कॉलेज का .. जिसका उद्घाटन राजेंद्र प्रसाद ने किया लेकिन आज वह भी विलुप्त हो गया सरकार की उदासीनता के कारण
बेनीपुरी जी के पौत्र का परिवार सिलीगुड़ी में रहते है …. इन्हे आज भी मलाल है कि बाबा के बेनीपुर गांव प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है
बेनीपुरी सेक्सपेरियर के गाँव गए थे 1951 में जिससे प्रभावित हो कर गाँव में घर बनाए … वे कहते थे मैं घर नहीं बना रहा यह मेरा स्मारक है …
सिर्फ प्रयास होते है वादे हुए पर बेनीपुर गाँव में आवास सिर्फ अब जमींदोज हो गया …