“चुनावी चिकोटी” में ले कर आए हैं एक नेता जी की दिलचस्प अनसुनी कहानी … नेता जी तो नेता जी नेताइन भी जबरदस्त जनता की सेवा में निकलीं
वार्ड का नेता बन अपनी जिंदगी मौज से गुजारने के लिए इसे पेशा मान कर अधिक पैसा हासिल करने के लिए अधिक पवार और पोजीशन हासिल करने के लिए लोग आते हैं … एक नेता जी ने तो हद कर दिया 700 रुपया मासिक सैलरी पर नौकरी करने वाले नेता जी गरीबी अपने करीब से देखा … खुद को एक राजनेता बनने के लिए तैयार करने का सपना देखा … इसके लिए न रुपया था, न पहुँच फिर नेता जी एक – एक सीढ़ी चढ़ते हुए खुद कारोबार में आ गए .. कारोबारी भी ऐसा बिहार से सूरत और बंगाल तक पहुँच बना लिए … कारोबार से धनकुबेर बन गए …. धनकुबेर बनने के बाद खुद से बने नेता जी अपनी गरीबी को झोली में ले कर चलने लग गए ..

गरीब से नजदीकियां यूँ बनी जैसे वह अपने पुराने दिन को नहीं भूल पाए … मेहनत के बल पर धनकुबेर तो बने लेकिन गरीबी की झोली याद रहा … गरीब को मदद करने लगे .. धनकुबेर तो थे लिहाजा धनकुबेरों में भी अच्छी पैठ रही .. नेता जी कभी मदद का बखान नहीं करते .. न तस्वीर में आते हैं मदद के दरमियान ऐसे में गरीबों के दिल के प्यारा बनते चले गए . नेता जी तो नेता जी .. नेता जी की नीतू भी कभी घर पर लगने वाले जनता दरबार से खफा नहीं हुई .. लिहाजा बहु जी के नाम से नेता जी की नेताइन यानि नीतू भी जनता के बीच जम गयीं फिर क्या नेता जी ने वार्ड चुनाव के दंगल में कूद गए … लाल बाल वाले नेता जी के विरोध में बड़े बड़े लोग लगे लेकिन गरीबी से उठा व्यक्ति गरीबों के सेवा के लिए अधिकृत रूप से विजय हुआ … वार्ड में हालत ये हैं हर कोई के दिल में नेता जी बसने लगे वहीं नेता जी संजय केजरीवाल की नीतू यानी क्षेत्र के जनता की बहु जी भी पति के निस्वार्थ सेवा की अंग बन गयी है .. नेता जी ने पांच वर्ष में कभी भी सरकारी राशि प्रश्रमिक नहीं लिया … अब नेता जी अगले पाली के तैयारी में जुटे हैं वही क्षेत्र की जनता को भी ऐसी जनप्रतिनिधि का इंतजार है